Maruti की कारों का दबदबा भारत में शुरू से ही रहा है, ऐसे में कंपनी कुछ-कुछ महीनों पर नई-नई कारे लॉन्च करती रहती है। आपको बता दें की कई रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है की कंपनी एक बार फिर 90 की दशक की रानी कहें जाने वाली कार को फिर से लॉन्च करने की तैयारी कर रही है। जी हां बिल्कुल सहीं पढ़ा आपने हाल ही में कंपनी ने maruti alto 800 को बंद करने का फैसला लिया है माना जा रहा है की इसकी जगह को पूरा करने के लिए ही Maruti Zen को एक बार फिर से लॉन्च किया जा सकता है। साल 1999 में जब इस कार को कंपनी ने लॉन्च किया था, उस समय भारत में एसी वाली कारों का चलन नहीं था। और जिन गाड़ियों में एसी आता भी था तो उनकी कीमत मीडिल क्लास फैमली के लिए बहुत ज्यादा होती थी।
ऐसे में जब इस कार को लॉन्च किया गया था तब हर मीडिल क्लास के लिए ये कार एक ऐसी कार थी जिसे आम आदमी भी खरीद सकता था। आज हम आपको इसी कार के बारे में ऐसी दिलचस्प कहानी बताने जा रहे है, जिसे पढ़ आपको ये समझ आएगा की 90 का दशक कैसा था। ये कहानी है बिहार की राजधानी से 130 किलोमीटर दूर जिला सीवान की। शुक्ला परिवार में वो दिन बिल्कुल आम दिन था, सुबह के 6 बजे थे की तभी बालकनी से कुछ गिरने की आवाज आई। घर का सबसे लाडला सोनू फौरन दौड़ लगाता पहुंचा और अखबार उठा कर शुक्ला जी को दे दिया। उधर किचन से आवाज आई “देखिएगा शुक्ला जी ई अखबार वाला अखबार फेक फेक के ही घर तोड़ देगा” शुक्ला जी मुस्कुराते हुए अखबार पढ़ने लगे फ्रंट पेज पर एक काली रंग के कार का विज्ञापन छपा था। फौरन शुक्ला जी ने सोनू के पापा रमेश को आवाज लगाई कहा देखो रमेश ये कोई जीनी कार आई है तभी रमेश ने कहा बाबूजी ई जीनी नहीं जेन कार है।
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ई कमाल हो गया बाबूजी बहुत कम दाम की है बस 3 लाख दाम है इसका, सोनू ने मम्मी के पास जा कर बोला मम्मी अब अपनी भी कार आएगी। सोनू की मम्मी की आँखों में आसु था, ये उनके लिए एक बड़ सपने का सच होना था। रमेश आकर अपनी धर्म पत्नी को कहते है चलो अब हम लोग भी कार में घूमेगे, एसी भी है कार में सोनू की मम्मी को वो दिन याद आ गया जब उनके मां की तबीयत खराब हुई थी और बगल वालो ने गाड़ी देने से मना कर दिया था। सोनू की मां कहती है अगर अब किसी को कुछ होगा तो हम लोग तुरंत पहुंच जाएगे पिछली बार तो मां से भी नहीं मिले और वो छोड़ के चली गई। इतने में रमेश प्रिया को गले लगा कर कहते है कोई बात नहीं प्रिया टेंशन ना लो और दोनों के आंखो में पानी भर जाता है।
दोपहर की चिलचिलाती धूप में रमेश और शुक्ला जी दोनों एजेंसी पहुंच के कार बुक कर देते है। 15 दिनों बाद शाम के 4 बजे थे सोनू खेलने के लिए घर से बाहर निकल ही रहा था की तभी मोहल्ले में एक काली रंग की चमचमाती कार तेजी से घर के तरफ बढ़ रही थी। सोनू फौरन दौड़ कर अपनी दादी के पास जाकर कहता है कार आ गई, सारा काम छोड़ कर दादी मम्मी नीचे आ जाती है। पहले पूजा होता है फिर शाम को यह तय किया जाता है की आज रात का खाना सब बाहर खाएगे। जानें के 1 घंटे पहले ही सब तैयार हो जाते है नीचे रमेश ने गाड़ी को 10 मिनट पहले ही स्टार्ट कर दिया था ताकी एसी से पूरी कार ठंडी हो जाए। फिर सब कार में बैठते है ये वो सपना था जो हर मीडिल क्लास सोचता है। अगर आपको ये कहानी अच्छी लगी हो तो इसको अपने उस फैमली मेंबर के साथ जरूर शेयर करें जिसके साथ आप ये सपना देखते है।
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