हाल के दिनों में देश में कारों की बिक्री में भारी इजाफा हुआ है। पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण बहुत से लोग इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर रुख कर रहे हैं।
लेकिन अभी भी डीजल और पेट्रोल कारों की मांग कम नहीं हुई है। उल्टे यह मांग और बढ़ गई है इस मांग को देखते हुए विभिन्न कार कंपनियां आने वाले समय में करीब 21,000 करोड़ रुपये खर्च करने वाली हैं
लेकिन अभी भी मांग और वास्तविक उत्पादन के बीच का अंतर बहुत बड़ा है। इसके चलते कई वाहनों के लिए 22 महीने तक का वेटिंग पीरियड होता है।
अभी आठ लाख से ज्यादा कारों की डिलीवरी पेंडिंग है। 99 फीसदी डिमांड पेट्रोल-डीजल कारों की है। हाल के दिनों में स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल्स यानी एसयूवी की मांग काफी हद तक बढ़ गई है
इसमें Mahindra और Tata SUVs की डिमांड काफी बढ़ गई है। महिंद्रा अगले दो वर्षों में एसयूवी उत्पादन को 6 लाख वाहनों तक बढ़ाने की योजना बना रहा है
मौजूदा समय में कंपनी हर साल 3 से 3.50 लाख एसयूवी बनाती है। कंपनी ने उत्पादन क्षमता बढ़ाने का लक्ष्य रखा है और आने वाले समय में इसके लिए 8 हजार करोड़ रुपए का निवेश करने जा रही है।
दूसरी ओर, टाटा मोटर्स के वाहनों की मांग हाल ही में काफी बढ़ी है। टाटा मोटर्स का लक्ष्य अपनी उत्पादन क्षमता को छह लाख से बढ़ाकर नौ लाख करने का है
इसके लिए कंपनी छह हजार करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है। देश की सबसे बड़ी कार विक्रेता मारुति सुजुकी भी हरियाणा में एक नया प्लांट खोलने की तैयारी में है
हाल के वर्षों में, संयुक्त राज्य अमेरिका सहित दुनिया भर के कई देशों में इलेक्ट्रिक कारों की मांग में काफी वृद्धि हुई है
भारत में भी पेट्रोल और डीजल की बढ़ती मांग की पृष्ठभूमि में इलेक्ट्रिक कारों की मांग बढ़ी है। लेकिन इसमें इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी अपेक्षाकृत कम है।